धनौरी पी.जी. कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस सहित समापन समारोह

धनौरी पी.जी. कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस सहित समापन समारोह का आयोजन हुआ।

धनौरी पी.जी. कॉलेज के शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित संगोष्ठी के द्वितीय दिवस 29 मार्च, 2025 को कार्यक्रम का शुभारंभ संगोष्ठी में उपस्थित मुख्य अतिथि अनीता अग्रवाल मेयर, नगर निगम रुड़की, ललित मोहन अग्रवाल, महाविद्यालय सचिव आदेश कुमार, शोभाराम प्रजापति, पूर्व जिला अध्यक्ष, मुख्य वक्ता डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, शिक्षा शास्त्र, पंडित एल.एम.एस. कैम्पस ऋषिकेश, डॉ. ईवांशु कुमार सैनी, प्राचार्य प्रो. डॉ. विजय कुमार सहित संगोष्ठी संयोजिका डॉ. अलका सैनी के द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया तत्पश्चात महाविद्यालय की छात्राओं ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। संगोष्ठी संयोजिका डॉ. अलका सैनी ने संगोष्ठी में आमंत्रित मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया एवं संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के रुप रेखा का संक्षिप्त परिचय दिया। संगोष्ठी में आए हुए सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत सत्कार किया गया।


मुख्य अतिथि मेयर अनीता अग्रवाल ने अपने संबोधन में महाविद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय डॉ. पृथ्वी सिंह विकसित की स्मृतियों को नमन करते हुए कहा कि धनौरी पी.जी. कॉलेज न केवल शिक्षा के क्षेत्र में बल्कि खेल–कूद और अन्य साकारात्मक सामाजिक गतिविधियों में बढ़–चढ़कर अपनी कार्य शैली से हरिद्वार जिला का नाम रोशन कर रहा हैं। ललित मोहन अग्रवाल ने कहा कि ऐसे आयोजनों से हमें और सभी छात्र–छात्राओं को अपने प्राचीन ज्ञान परंपरा और विरासत को जानने और समझने का अवसर प्राप्त होता हैं। उन्होंने आदरणीय सचिव डॉ. आदेश कुमार सहित प्राचार्य एवं संगोष्ठी संयोजिका को कार्यक्रम आयोजित करने हेतु हार्दिक बधाई और अपनी शुभकामनाएं प्रदान की। पूर्व जिला अध्यक्ष श्री शोभाराम प्रजापति जी ने कहा कि ऐसी संगोष्ठियों से छात्र-छात्राओं में भारतीय ज्ञान परंपरा का विस्तार होता है।


उन्होंने बताया की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को जीवन में सफलता प्राप्त करने सामाजिक और नैतिक मूल्य को समझने और व्यक्तित्व विकास करने में मदद करती है। उन्होंने सभी छात्र–छात्राओं को नशे का सेवन न करने के लिए भी प्रेरित किया। मुख्य वक्ता डॉ. अटल बिहारी त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में पीपीटी के माध्यम से बताया कि बिना शिक्षा के समृद्धि लाना मुश्किल है, क्योंकि शिक्षा ही वह आधार है, जो व्यक्ति को ज्ञान कौशल और आत्मविश्वास प्रदान करती हैं। यह जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। भविष्य में आने वाली चुनौतियों को हम भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से किस प्रकार निवारण किस प्रकार कर सकेंगे इस विषय में भी अवगत कराया।


प्रो. फूल सिंह, डीन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा ने ऑनलाइन माध्यम से अपने वक्तव्य में भारतीय ज्ञान परंपरा में गणित के समृद्ध और गौरवशाली इतिहास के बारे में चर्चा की और कहा कि प्राचीन भारत में गणित के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण खोज और विकास हुए हैं जिनका विश्व के गणित में महत्वपूर्ण योगदान है।


प्रो. विनोद कुमार, शिक्षा शास्त्र विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी ऑनलाइन माध्यम से अपने वक्तव्य में भारतीय ज्ञान पद्धति के बारे में बताया। प्रो. पूर्णिमा श्रीवास्तव, शिक्षा शास्त्र विभागाध्यक्ष, के. एल. डी.ए.वी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय ने अपने संबोधन में भाषाई समृद्धि, भाषा के महत्व, पुराण और वेदों का महत्व बताते हुए कहा कि ज्ञान का अन्य कोई विकल्प नहीं हो सकता। प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली को एनईपी 2020 के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। प्राचार्य प्रो. डॉ. विजय कुमार ने संगोष्ठी में आए हुए सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापन किया। संगोष्ठी के अंतिम सत्र एवं समापन समारोह में सचिव आदेश कुमार और डॉ. ईवांशु के द्वारा संगोष्ठी आयोजन समिति के सदस्यों को स्मृति चिह्न और प्रमाण–पत्र प्रदान किया गया। कार्यक्रम के समापन में संगोष्ठी संयोजक डॉ. अलका सैनी के द्वारा संगोष्ठी में आमंत्रित सभी मुख्य अतिथियों का स्मृति चिन्ह देकर उनके प्रति सम्मान और आभार व्यक्त करते हुए संगोष्ठी समापन की उद्घोषणा की। संगोष्ठी में मंच संचालन डॉ. कल्पना भट्ट के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त सहायक आचार्यगण, गैर शैक्षणिक कर्मचारी, उपनल कर्मचारी सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।


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